मुलायम दोबारा बने स्टार प्रचारक, क्या इन 3 डरों से कटा था नाम?
मुलायम सिंह यादव की बुजुर्गियत आड़े आ रही थी या फिर बसपा की दोस्ती, जिसके खातिर उन्हें स्टार प्रचारक के तौर पर सपा की पहली फेहरिश्त में जगह नहीं दी गई थी? हालांकि बाद में पार्टी की किरकिरी होने के बाद दोबारा से लिस्ट जारी करनी पड़ी और मुलायम का नाम सबसे ऊपर रखा गया.
समाजवादी पार्टी ने रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की, जिसमें अखिलेश यादव से लेकर जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायकों को तवज्जो दी गई. लेकिन, पार्टी की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव का नाम ही नदारद था. इसे लेकर अखिलेश यादव की जमकर किरकिरी हुई. इसके चलते सात घंटे के बाद ही सपा को दोबारा सूची जारी करनी पड़ी, जिसमें मुलायम का नाम सबसे ऊपर रखा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि मुलायम की बुजुर्गियत आड़े आ रही थी या फिर बसपा की दोस्ती, जिसके खातिर उन्हें स्टार प्रचारक के तौर पर सपा की पहली फेहरिश्त में जगह नहीं दी गई थी?
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी थी, जिसमें अखिलेश यादव, डिंपल यादव, तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव सहित ‘यादव परिवार’ के कई सदस्य शामिल थे. इतना ही नहीं सपा के छोटे से छोटे नेता को स्टार प्रचारक के तौर पर जगह दी गई, लेकिन पार्टी की नीव रखकर फर्श से अर्श तक पहुंचाने वाले मुलायम सिंह को शामिल नहीं किया गया. हालांकि माना जा रहा है कि सपा मुलायम को स्टार प्रचारक के तौर पर शामिल न करने की तीन प्रमुख वजह रही हैं.
हालांकि बाद में किरकिरी होने के बाद सपा ने दूसरी सूची जारी की, जिसमें मुलायम सिंह का नाम पहले स्थान पर रखा गया. इसे लेकर सपा के प्रवक्ता और नेताओं ने कोई भी बयान और प्रतिक्रिया देने से परहेज किया, लेकिन सूत्रों का मानें तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बुढ़ापे का हवाला देते हुए मुलायम को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं किया था.
सपा इसीलिए भी बच रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मुलायम सिंह यादव प्रचार के लिए उतरे और कुछ ऐसा बोल जाएं जिससे पार्टी को फायदा होने के बजाय नुकसान हो जाए. हाल के दिनों में अखिलेश यादव जब हार्दिक पटेल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, इसी बीच मुलायम सिंह पहुंचकर सपा-बसपा गठबंधन पर सवाल करते हुए अखिलेश यादव की अलोचना की थी. इतना ही नहीं बसपा प्रमुख मायावती और अखिलेश यादव की मैनपुरी में होने वाली संयुक्त रैली को लेकर भी वो नाखुश थे.
सूत्रों की मानें तो सपा इसीलिए भी बच रही थी कि पिछले दिनों संसद में जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए दोबारा से पीएम बनने के लिए शुभकामनाएं दी थी, इसे लेकर अखिलेश और मायावती नाराज थे. ऐसे में अखिलेश मुलायम को शामिल करके मायावती की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते थे.
वहीं, शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए पिता का अपमान करने का आरोप लगाया. फिरोजबाद में शिवपाल ने कहा कि ‘यह सुनना काफी निराशाजनक है कि नेताजी का अपमान किया जा रहा है और उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. जबकि सपा ने उन लोगों की सूची में शामिल किया है जो अपनी व्यक्तिगत क्षमता में 10 वोट नहीं दिला सकते हैं. जबकि मैंने नेताजी के आशीर्वाद से पार्टी बनाई. हमने मैनपुरी में नेताजी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है.
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके बेटे ने प्रचारकों की सूची में मुलायम सिंह का नाम शामिल नहीं किया. जबकि मुलायम सिंह ने भाई के साथ मिलकर डोर-टू-डोर प्रचार करके पार्टी को खड़ा किया. ऐसे में जो व्यक्ति अपने पिता के प्रति वफादारी नहीं कर सकता, वह कभी भी लोगों की सेवा नहीं कर सकता है.