नप की लापरवाही, बिना बीमा और बगैर पंजीयन के दौड़ रहे वाहन

बगैर बीमा के सड़को पर दौड़ रहे नगर परिषद के वाहन लिफ्टर मशीन को किया ठेकेदार के हवाले, पार्षद ने आवाज़ उठाई तो कटवाई एक हजार की रसीद

रिपब्लिक टुडे , सोहागपुर।

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यहां नगर परिषद में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा, पिछले तीन सालो से बगैर बीमा और फिटनेस के सड़क पर नगर परिषद के वाहन दौड़ रहे है, वही लिफ्टर मशीन और जेसीबी भी बिना बीमा के आपरेटर के हवाले कर दी है।

नगर परिषद में सफाई व्यवस्था में लगी मैजिक वाहन और ट्रेक्टर सहित जेसीबी, लिफ्टर मशीन और शव वाहन है जिनमे किसी का भी बीमा नहीं है, वाहन प्रभारी द्वारा पूर्व में लगातार तत्कालीन सीएमओ को वाहनों का बीमा कराने को कहा गया था, तत्कालीन सीएमओ राकेश मिश्रा ने वाहनों के बीमा के लिए पहल भी की, लेकिन एनवक़्त पर उनका तबादला हो गया, अब फिर बेधडक नगर परिषद के वार्डो से कचरा उठाने के लिए दौड़ रहे मैजिक वाहन और ट्रेक्टर बिना बीमा के दौड़ रहे है, न तो फायर बिर्गेड का बीमा है और न ही लिफ्टर मशीन का, लिफ्टर मशीन का उपयोग रसूखदार लोगो की सेवा के साथ साथ ठेकेदारों को उनके काम के लिए भी अपरेटर सहित दी जाती है, जिसको लेकर कांग्रेसी पार्षद धर्मदास बेलवंशी ने रेस्ट हॉउस के पास बन रहे स्वागत द्वार के निर्माण में ठेकेदार आर के इलेक्ट्रिक बगडोना को नगर परिषद की लिफ्टर मशीन दिए जाने को लेकर आवाज़ उठाई थी, लिफ्टर मशीन को नप कर्मचारी पिछले 4-5 दिन से लगातार ठेकेदार की सेवा में लगाया गया था। अब सीएमओ धर्मेंद्र शर्मा का कहना है की मशीन का किराया ठेकेदार को भुगतान से काट लिया जायेगा वही अध्यक्ष लता पटेल का कहना है की ठेकेदार द्वारा एक हजार की रसीद कटवा लीं गईं है शेष रकम ठेके दार के पेमंट से काट लीं जाएगी।

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नप में ऐसे कई वाहन है जिनके न तो पंजीयन नंबर है और न ही बीमा।

पार्षद धर्मदास ने सोशल मिडिया पर नगर परिषद की करतूत को उजागर करते हुए कहा है की नगर परिषद में लिफ्टर मशीन, जेसीबी, शव वाहन, ट्रेक्टर, फायर बिर्गेड सहित कचरा उठाने में लगी मैजिक वाहन में से किसी का भी बीमा नहीं है। ऐसे में कोई घटना दुर्घटना होती है तो उसकी भरपाई कौन करेगा।

आर टी ओ द्वारा लिखा जा चुका है पत्र।

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पिछले वर्ष नगर परिषद के वाहनों के बीमा और फिटनेस को लेकर तत्कालीन आर टी ओ निशा चौहान द्वारा नगर परिषद सीएमओ को पत्र लिखकर वाहनों के बीमा कराने को कहा गया था। लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रही नप ने वाहनों का बीमा नहीं कराया था।

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