विराम में छुपे नापाक मंसूबे से हिन्द रहे सावधान
डॉ.अतुल कुमार।
अप्रत्याशित तौर से मिले दो दिवसीय युद्ध विराम के सुखद समाचार में ना’पाक’ की नीयत से संदेह के बादल मंडराते है। तेरह मई को अमेरिका की मध्यस्थता से पूर्ण विराम बना रहेगा नहीं यह एक यक्ष प्रश्न है। पाकिस्तान की घिनौनी हरकतों के इतिहास के बारे में लिखने के लिए नये शब्दों की जरूरत नहीं है। कुत्ते की हरदम टेढ़ी रहने वाली पूँछ की तरह आंतक के कारखाने को चलाये रखना उसकी आदत है।
दुनिया युद्ध में लगी रहे यह तो अमेरिका की छिपी हरदम से मंशा है और पाकिस्तानी हूकमत को बने रहने के लिए आंतकवादी को वादी में पोसने की मजबूरी है। इसके बाद भी कल तक परमाणु हमले की धमकी देने वाले शेरखां बने मेमने की भांति मिमयाने क्यों लगे, इस पर सचेत रहने की जरूरत है।
जुबां चलाने वाले पाकिस्तानी में अस्त्र चलाने की अक्ल कितनी है पता चल गयी। महान भारतीय सेना के पराक्रम और क्षमता की झलक ने ही इनकी औकात बता दी। देश रक्षा में सदैव तैयार रहने वाले भारतीय सैनिक की जबरदस्त मार ने पाकिस्तान की हवा खराब कर दी है। हिन्द की एक एक जान राष्ट्रहित में हजार बार जान देने को तैयार है। सवा करोड़ की एक साथ उठी आवाज ने नभ जल थल को कंपायमान कर दिया। हमारी एकता साथ दिखी वहीं पाकिस्तान के चार टुकड़े होने को तैयार थे। हिन्दुस्तान का बच्चा-बच्चा अपनी फौज के साथ था वहीं पाकिस्तान के साथ उनके हुक्मरान तक नहीं थे।
सच कहे तो फौज ने सिर्फ आज की रात में ही पाकिस्तान को नक्शे से गायब कर देना था। सही तरीके से निपटा कर कायरों के कब्जे से काश्मीर ले लेना जरूरी था। हमेशा का सिरदर्द खत्म कर शांति का वातावरण हमेशा का बन जाता।
हिन्दुस्तान ने हमेशा शांति की पहल की है। इसी कारण तुरंत ही जब अमेरिका के माध्यम से विश्व जनमानस के देशों ने वार्ता की तो बात मानते हुए सिन्दुर सैन्य कार्यवाही को स्थगित कर दिया है।
यह सर्वदा याद रहे कि पाकिस्तानी अपनी जुबां पर रहने वाली जमात नहीं है। सरकार और जनता भी किसी गफलत में आंखे बंद करके नहीं रहे। अचानक ही पलट कर मारने के मंशा हमेशा से पाकिस्तानी में रही है। इससे भी अलग यही बात है कि आंतकी हरकतों पर पाकिस्तानी शासन का कोई नियंत्रण ही नहीं है।
इससे भी इतर एक और बात है कि आंतकी को पाल कर ही पाकिस्तान की दुकान चलती है। आंतकी सगठनों को पालने वालों के कुटिल मंसूबे पूरे नहीं होगें। वो हमेशा चाहते है कि निर्दोष और निरपराधों के रक्त बहता रहे। ऐसे गिरी घटीया सोच के लोगों को खाज पाना कठिन होता है। इन रक्त बीजों के खतरे से सावधान रहना है। इसलिए सेना ही की तरह इस संघर्षविराम पर सरकार, समाज और सभी साथियों के साथ हमारी जनता को सर्वदा तैयार रहना चाहिए। इसी सावधानी बरतते हुए विराम पर ध्यान रहे।
