टिकिट किसको मिल रही पता नही , इसलिए घर से नही निकल रहे कांग्रेसी

चुनाव की तारीख नजदीक, फिर भी घर से नही निकल पा रहे कांग्रेसी, क्या संगठन के पदाधिकारियों को नही मिली जिम्मेदारी

रिपब्लिक टुडे,सोहागपुर.

कांग्रेस को सोहागपुर सीट पर लगातार बीस सालों से हार का मुंह देखना पड़ रहा है, इसका मुख्‍य कारण क्षेञ में गुटबाजी ही है, जिसके चलते मतदान की तारीखों का एलान होने के बाद भी संगठन के लोग घर में बैठे है.कांग्रेस द्वारा टिकिट जारी करने में की जा रही देरी से अब चर्चा इस बात की है कि कम समय में जनता अपना नेता किसे चुने इस पर कैसे विचार कर पायेगी, उधर कांग्रेस हाईकमान द्वारा टिकिट किसे दिया जा रहा है इस बात का इंतजार संगठन के पदाधिकारी घर में बैठकर रहे है,

   बता दें कि क्षेञ में कांग्रेस मजबूत तो मानी जाती है, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही टिकट के फेर में कांग्रेस उलझ जाती है, आज दिनांक तक कांग्रेस द्वारा सोहागपुर सीट पर प्रत्‍याशी तय नही किया गया, जिसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित आम जन में भी अब पार्टी को लेकर कई सवाल उठ रहे है. एक तरफ विरोधाभाष है तो दूसरी तरफ कांग्रेसी उम्‍मीदबार के सामने समय का अभाव भी है, क्षेञ के चार उम्‍मीदबार टिकिट की चाह रख रहे हे, लेकिन आलाकमान द्वारा किसी को भी अधिकृत रूप से कोई सूचना नही दी गई, कांग्रेस ने नर्मदापुरम जिले की किसी भी सीट पर प्रत्‍याशियों की घोषणा नही की है. न ही पार्टी ने निचले स्‍तर पर ब्‍लाक अध्‍यक्षो व नगर अध्‍यक्षों को पार्टी का प्रचार करने को कहा है. जिसके चलते संगठन के लोग घर में बैठ कर प्रत्‍याशी तय होने के इंजतार कर रहे है.

कांग्रेस की कमजोरी गुटबाजी

दरअसल सोहागपुर सीट पर चार उम्‍मीदबार टिकिट की लाइन में है जिससें सबसे पहला नाम सतपाल पलिया का है जो कि लगातार मतदाताओं के संपर्क में है, वही जिला अध्‍यक्ष पुष्‍पराज पटेल भी चुनाव मेंदान में आना चाहते है जो अपनी तेज तर्रार शैली और आक्रामक भाषण से लोगों में पहचाने जाते है, वही पूर्व विधायक सविता दीवान शर्मा अपने अनुभव और संगठन के भरोसे टिकट की दौड़ में है वही हर गोविंद पुरविया भी पीछे नही है, एक साल से लगातार जनता के संपर्क में है धार्मिक अयोजन करवा कर उन्‍होंने क्षेञ के लोगो से सीधे जुड़ने का प्रयास किया है. बता दें कि पार्टी ने सभी नेताओं से काम करने को तो कहा लेकिन टिकिट को लेकर किसी को भी संकेत नही दिए है. ऐसे में अब कांग्रेसियों में चुनावी जोश कम होता जा रहा है.