क्या घबरा गई भाजपा,सांसदों को मैदान में उतारा ?
दूसरी सूची जारी करने के बाद अब कांग्रस में मंथन उम्मीदवारों के चयन में जीतने वाले लोगो की तलाश हुई तेज़, नरसिहपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा हो सकते हैं उम्मीदवार
रिपब्लिक टुडे, भोपाल।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को खतरे की आशंका हो चुकी है, शिवराज सिंह ने 2005 से सत्ता संभाली लेकिन ताबड़तोड़ योजना वोट बैंक खिसकने के डर से पहले शुरू नही की गई। अतिथि शिक्षकों ने पूर्व में भी आंदोलन किये ,पत्रकारों ने भी सामाजिक सुरक्षा की मांग पहले भी की लेकिन जब शिवराज सिंह ने ध्यान नहीं दिया , अब कुर्सी का डर सब कुछ करवा रहा है। उसके बाद भी पार्टी हाईकमान उनको सीएम का चेहरा नही बना रहा , सभी मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे है सरकार जाने के इनपुट से घबराकर प्रदेश में टिकिट वितरण की रणनीति को लेकर अब दिग्गज नेताओं को विधानसभा में उतरना स्वयं सांसदों की पसंद है या उन्हें पार्टी से निर्देश है इस पर अब सूबे में जमकर चर्चा हो रही है दरअसल बड़े नेताओं यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतारना पार्टी की मजबूरी देखा जा रहा है।
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चर्चा अब इस बात की है कि भाजपा और सूबे के मुख्यमंत्री घबरा रहे है जिस ताबड़तोड़ गति से योजनाओं की घोषणा करते जा रहे है , दोनों हाथों से पैसे की बरसात की जा रही है इससे साफ हो गया था कि प्रदेश में भाजपा की हालत पतली है, महिलाओं को लुभाने लाडली बहना योजना बना दी , अतिथि शिक्षकों का मानदेय दोगुना कर दिया गया, मीडियाकर्मियों के लिये सौगातें दे दी, ये सब फैसले चुनावी भले हो लेकिन शिवराज सिंह ने वोट बैंक खड़ा करने की जुगत तो लगा ही ली है, उधर अब भाजपा की दूसरी सूची में नरेंद्र सिंह तोमर , फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल , रीति पाठक , राव उदय प्रताप सिंह,राकेश सिंह और गणेश सिंह जैसे सांसदों को टिकिट देकर कहि न कही डूबती नैया को सहारा देने का काम किया है उधर जमीनी कार्यकर्ता भी बड़े नेताओं के विधानसभा चुनाव में उतारे जाने से छुब्ध हो गए है चर्चा आ रही है कि जमीनी कार्यकर्ता दरी फट्टे ही उठाते रहेंगे, वैसे भी टिकिट की उम्मीद लगाए बैठे नेता अब भाजपा के साथ खड़े होंगे या काट करेंगे विचारणीय है।
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उधर सांसदों को टिकट देने से पहले क्या उनकी राय ली गई इस बात पर गौर करें तो जानकारी ये है कि जबलपुर के सांसद राकेश सिंह को तरुण भनोट के सामने उतराने की रणनीति बन रही थी तो प्रहलाद पटेल और सांसद राव उदय प्रताप के बीच आपसी समन्वय बनाकर टिकिट दी गई है दरअसल उदय प्रताप नरसिंहपुर से टिकिट की मांग कर रहे थे जो कि जालम सिंह की सीट है यहां लोधी वोटर की संख्या ज्यादा है। तेंदूखेड़ा से उदय प्रताप चुनाव लड़ना नही चाहते
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थे ऐसे में यदि लोकसभा चुनाव प्रहलाद पटेल लड़ते तो राव उदय प्रताप सिंह को नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव में उतर सकते थे लेकिन प्रहलाद पटेल और जलं सिंह पटेल की रणनीति के कारण उन्हें गाडरवारा सीट जो फिलहाल कांग्रेस के कब्जे में है वहां से टिकिट तय किया गया।
मैहर में भी नारायण त्रिपाठी को दरकिनार कर नए
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उम्मीदवार को टिकिट दिया गया है रीति पाठक , फग्गनसिंह कुलस्ते को भी कमजोर सीटो पर मैदान संभालने कहा गया है। बड़े नेताओं पर दांव लगाने के बाद अंदरूनी विरोध भी भाजपा को झेलने पड़ेगा, दूसरी सूची आने के बाद सोशल मीडिया में तरह तरह की पोस्ट सामने आ रही है जिनमें इशारा भाजपा की घबराहट का है।