माखन नगर के मतदाताओं सहित जातिगत समीकरण में उलझ गई कांग्रेस
माखन नगर ने भाजपा को दी बढत तो सोहागपुर ने स्थानीय प्रत्याशी को दिया मौका
मुकेश अवस्थी.
नर्मदापुरम जिले की सोहागपुर सीट की चर्चा जिले भर मे हो रही है, दरअसल यहां से कददावर और जमीनी कार्यकर्ता पुष्पराज पटेल को कांग्रेस ने टिकिट दिया था. जो भाजपा प्रत्याशी के सामने भारी शाबित हुए. जिस प्रकार की तैयारी और रणनीति कांग्रेस ने बनाई थी उसको देखते हुए कांग्रेस सफलता की तरफ बढी जरूर लेकिन बहुत कम अंतर से जीत हासिल नही हो पाई.
सोहागपुर सीट को लेकर अब चिंतन मंथन के साथ साथ आपसी समंजस की भी जरूरत है, जब से परिसीमन हुआ है तब से लेकर 2023 के चुनाव तक यहां से कांग्रेस का न जीत पाना पार्टी के लिए भी अब बडी चुनौती हो गया है. कांग्रेस ने हर बार स्थानीय व्यक्ति को टिकिट दिया और भाजपा नर्मदापुरम के विजयपाल सिंह को लगातार टिकिट देते आ रही है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या स्थानीय व्यक्ति क्षेञ के मतदाताओं की पसंद नही है, या इस सीट पर महत्वाकांक्षी नेताओं की संख्या ज्यादा है कांग्रेस में एक दर्जन से ज्यादा टिकिट की चाह रखने वाले नेता है तो भाजपा में काई भी स्थानीय नेता दमखम के साथ टिकट की मांग नही करते. ऐसे में अब कांग्रेस की तैयारी और रणनीति दोनों पर सवाल उठना भी जायज है. कहा जाता है इस सीट पर जातिगत समीकरण हार जीत का फैसला करते है, पिछले तीन चुनावों में गुर्जर समाज से कांग्रेस ने प्रत्याशी दिया
लेकिन अन्य समाजों ने सर्पोट नही किया, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता जो अन्य समाजों से तालुक रखते है चुनाव में घर बैठ जाते है या विरोधी दल के पक्ष में मतदान कराने में लग जाते है. ऐसे ये कहा जाये क्या दल नही बल्कि जातिगत समुदाय को देखकर मतदान किया जा रहा है. स्थानीय उम्मीदवार को नकार देना या किसी नए व्यक्ति को मौका न देना क्षेञ के लोगों ने ठान कर बैठे है.
एक बात और इस सीट को लेकर इस चुनाव में देखी गई है कि सोहागपुर और बाबई के करीब 2300 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर दोनो ही दलों के प्रत्याशियों को नापसंद किया है. मतलब साफ है कांग्रेस को बाबई ब्लाक से मिली असफलता को लेकर मेहनत करने की जरूरत है तो भाजपा को अब सोहागपुर से मिली कम वोटों को लेकर भी मंथन और चिंतन की जरूरत है. सोहागपुर के स्थानीय मुददे और कार्यकर्ताओं से नाराजगी स्थानीय लोगों के मन में भाजपा को लेकर कही न कही असंतोष जरूर है जिसे सुधार के साथ साथ कठोर निर्णय लेकर असंतोष को दूर करने की भी महती जरूरत है.