आज़ादी का दीवाना, जिसने अंग्रेजो के नाक के नीचे से निकाला था खजाना
काकोरी कांड को अंजाम देने वाले अशफाकउल्ला खा जिसने अंग्रेजो से आज़ादी की लड़ाई के लिये ,खजाने से भरी ट्रेन लूटी।
रिपब्लिक टुडे। महान क्रांतिकारी अशफाकउल्ला_खां कविताएं भी लिखते थे, उन्हें घुड़सवारी, निशानेबाजी और तैराकी का भी शौक था. वे अपनी कविता में अपना उपनाम ‘हसरत’ लिखा करते थे. उनका जन्म 22 अक्तूबर 1900 को उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर जिले के ‘शहीदगढ़’ में हुआ था।
क्रांतिकारियों ने 09 अगस्त, 1925 को सहारनपुर लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर लूटने की योजना बनाई, ट्रेन में सरकारी खजाना था जो ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीयों का शोषण कर एकत्रित किया था. खजाने को स्वतंत्रता में उपयोग करने का उद्देश्य सशस्त्र क्रांति गतिविधियों को बढ़ाने के लिए धन जुटाना था।
अशफाकउल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, व अन्य साथियों ने योजना बनाकर लखनऊ ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को काकोरी में निकाल लिया, इसके पश्चात से ही घटना को काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. योजना पर अमल के दौरान सभी क्रांतिकारियों ने छद्म नाम रखा था, अशफाकउल्ला खां ने अपना नाम कुमार जी रखा था।
घटना में शामिल अन्य क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार ने पकड़ लिया था, लेकिन चंद्रशेखर आजाद व अशफाकउल्ला खां को नहीं पकड़ पाई थी. पर, 26 सितंबर 1925 के दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. काकोरी कांड में उन पर राजद्रोह का केस चलाया गया, अंग्रेज सरकार की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. 19 दिसंबर, 1927 को अशफाकउल्ला खां को फैज़ाबाद जेल में फांसी दे दी गई।