कांग्रेस से राज्य सभा के लिए दिग्गी ने भरा पर्चा, सिंधिया भापजा की टिकिट पर कल भरेगें नामांकन
रिपब्लिक टुडे, भोपाल. मध्य प्रदेश की सियाशत पिछले एक सप्ताह से राज्यसभा की उम्मीदवारी के चलते ही ठहर गई है, बहरहाल कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंञी दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बना दिया है. कांग्रेस पहले अपने दूसरी सीट के लिए कार्यकारी पीसीसी अध्यक्ष रामनिवास रावत को उतारना चाहती थी जो कि सिंधिया समर्थक माने जाते है, लेकिन रामनिवास रावत ने स्वयं ही राज्य सभा टिकिट लेने से इंकार कर दिया. ऐसे में दिन भर चली गहमागहमी के बाद अब कांग्रेस ने बहुजन संघर्ष दल के राष्टृीय अध्यक्ष रहे फूल सिंह बरैया को दुसरा उम्मीदवार बनाया है, बरैया ने लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की सदस्यता ली है, बरैया का नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद और रामनिवास रावत द्वारा राज्यसभा टिकिट लेने से मना करने के बाद अचानक तैयार किया गया है.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही तय माना जा रहा था कि एक सीट पर पूर्व मुख्यमंञी दिग्गी राजा को ही राज्यसभा सांसद बनाया जायेगा, लेकिन दूसरा नाम पूरी तरह तय नही था जिसकी भनक सिंधिया को लगते ही उन्होने दल बदल कर नई राजनीति की शुरूआत कर ली है. लेकिन राज्य सभा का गणित अभी कांग्रेस के लिए एक ही सीट के पक्ष में दिखाई दे रहा है, ताजा हालात को देखते हुए कांग्रेस के पास दो सीट जीत पाने के नही है, सिंधिया समर्थक विधायक यदि कांग्रेस के साथ नही आये तो फूल सिंह बरैया राज्य सभा नही पहुंच पायेगे. लेकिन इतना तय है कि सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस अब ग्वालियर चंबल संभाग में नई राजनीति के लिए फूल सिंह बरैया जैसे चेहरो को आगे करेगी,

उधर भाजपा ने भी बड़वानी के युवा नेता सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा भेजने की तैयारी की है.

लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार पर छाये संकट के बादल अब कांग्रेस के पक्ष में दिखाई नही दे रहे है. राज्यसभा की उठापठक के चलते दोनो ही दलो ने अपने विधायको को प्रदेश से बाहर सुरक्षित भेज दिया है. बता दें कि विधानसभा 16 मार्च से बजट सञ शुरू करने जा रही है, जिसमें भाजपा फलोर टेंस्ट कराना चाहती है. मौजूदा हालात में कुल 228 विधायक है, जिनमें से 106 भाजपा के है तो 22 ने इस्तीफा दे रखा है ऐसे में कांग्रेस पीछे रह सकती है. माना जा रहा है कि यदि फलोर टेस्ट में यदि कांग्रेस बहुमत शाबित नही कर पाती है, तो कांग्रेस के सभी विधायक सामूहिक इस्तीफे देकर माध्यावधि चुनाव की मांग राज्यपाल के समक्ष रख सकते है.