राम ने स्वयंम्बर में तोड़ा शिव धनुष, सिया के गले में डाली वरमाला।

दिनेश ठाकुर शोभापुर।

चतुर्थ दिवस:मिथिला दर्शन, सीता स्वयंबर, रावण बाणासुर संबाद लीला का मंचन।

:नगर में चल रही रामलीला के चतुर्थ दिवस में मिथिला दर्शन, सीता स्वयंबर, रावण बाणासुर संवाद का स्थानीय कलाकारों द्वारा सुंदर मंचन किया गया। लीला में महर्षि विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण के साथ मिथिला जाते हैं जहाँ बो सुंदर मनोहारी मिथिला बाजार भ्रमण करते हुए वहाँ स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं। एवं अन्य प्रसिद्ध वस्तुओं का क्रय करते हैं।इसके बाद बो अपने गुरुदेव की आज्ञा से फूल लेने पुष्प वाटिका जाते हैं। वहाँ उनकी और माता सीता की दृष्टि मिलती है और मन ही मन एकदूसरे को स्वीकार कर लेते हैं।माता सीता श्री राम को पति के रूप में पाने के लिए मां भवानी की पूजन करती हैं। इधर राजा जनक सीता के स्वयंवर धनुष यज्ञ का आयोजन करते हैं। जिसमें उनकी प्रतिज्ञा के अनुसार जो भी राजा शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाएगा। उसके साथ सिया का विवाह कर दिया जाएगा। यह धनुष महर्षि दधीचि की हड्डियों से बना हुआ पिनाक धनुष होता है। इस स्वयंवर में देश देशांतर के राजा महाराजा धनुष तोड़ने के लिए आते हैं। दशग्रीव रावण भी जानकारी लगने पर इस स्वयंवर में आता है। फिर रावण और बाणासुर का संवाद होता है।आकाशवाणी होने पर रावण शपथ लेकर वहां से चला जाता है। स्वयंवर में उपस्थित सभी राजाओं से धनुष नहीं उठता। यह सब देख कर राजा जनक कुपित होकर कहते हैं कि क्या पृथ्वी पर ऐसा कोई वीर नहीं जो इस धनुष को उठा सके। इस पर लक्ष्मण जी क्रोधित हो जाते हैं। फिर अपने गुरु विश्वामित्र से आज्ञा पाकर श्री राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं जिससे धनुष टूट जाता है और फिर माता सीता प्रभु श्रीराम के गले में वरमाला डालती हैं। सभी देवी देवता प्रसन्न होकर आकाश से पुष्प वर्षा करते हैं।
इन कलाकारों ने किया अभिनय:
राम ऋतिक भार्गव, लक्ष्मण विशेष आचार्य, सीता अभिषेक शर्मा, विश्वामित्र रजनीश शुक्ला, राजा जनक रोहित भार्गव, रावण दिनेश उपाध्याय, बाणासुर आशीष आचार्य, मंत्री आशीष भार्गव, सखी सत्यम पुरविया, राजा कंचन गिरी, श्याम आचार्य,व्यास पीठ पर कृष्णकान्त भार्गव, हारमोनियम पर नंद किशोर पाल, ढोलक पर इंद्रेश गिरी, जगदीश प्रसाद शर्मा रहे।