जानिए कैसे काम करेगी कोरोना की दबा 2-DG
डॉक्टर सोमेश सिटोके ने बताया की DRDO द्वारा 2DG यानी 2 डीओक्सी ग्लूकोज़ की दबा बड़े पैमाने पर उत्पादन जल्द ही हैदराबाद में शुरू होगा और अन्य केंद्रों पर भी होने की पूरी पूरी संभावना है!
कैसे काम करेगी ये दबा
डॉक्टर सोमेश सिटोके ने सरल भाषा मे बताया कि —- इस विधि का का सिद्धांत बहुत सरल है: “चीट द चीटर” / “जैसे को तैसा” / धोखेबाज के साथ धोखा ….. कोई भी वायरस, एक बार शरीर के अंदर, हमारी मानव कोशिकाओं को धोखा देकर अपनी प्रतियां बनाता है और अपना विस्तार करता है……….थोड़ा और सरल कर के समझिए . हर प्राणी के शरीर की कोशिकाओं में डी एन ए और आर एन ए दोनों होते हैं ……इनमें आर एन ए अपना संदेश एक मैसेंजर आर एन ए के द्वारा भेजकर नए प्रोटीन बनाता है ये प्रोटीन ….पूरा एक जैसा (प्रतिलिपि) या नया ….कुछ भी हो सकता है …….. इस बने हुए प्रोटीन से एक सी कोशिका या नए प्रकार की कोशिका या म्यूटेंट बन सकता है …… बड़े प्राणियों में यही प्रक्रिया अलग अलग सिस्टम्स यानी सांस का , हार्ट का , हाजमे का ,हडिडयां , मांस पेशियां , आदि बनाकर एक जटिल शरीर बनाती हैं ……. पर वायरस में चूंकि एकमात्र RNA या DNA का धागा होता है वह भी प्रतिलिपि बनाकर अपनी संख्या बढ़ता है या अपने मे म्यूटेशन कर सकता है…….कोरोना वायरस एक RNA वायरस है इसका स्वयम का कोई DNA नहीं होने के कारण यह अपने विकास के लिए हमारी कोशिकाओं में मौजूद DNA का दुरुपयोग कर अपनी मर्जी के प्रोटीन बनाकर हमारी प्रणालियों को बिगाड़ देता है यही प्रक्रिया बीमारी के लक्षण पैदा करती है
….. इसी जीव विज्ञानी प्रक्रिया का भारतीय वैज्ञानिकों ने चीटिंग के लिए उपयोग किया है ….. …………..भारतीय वैज्ञानिकों की यह शानदार सोच और प्रक्रिया बहुत सरल थी! हर कोशिका या वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो यह ग्लूकोज़ से प्राप्त करता है…… बस यह दवा केवल एक “छद्म” ग्लूकोज है जो वायरस को सामान्य ग्लूकोज़ होने का भ्रम देता है पर यह वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने में मदद करने के स्थान पर उसके विकास में बाधा डालकर उसे एक से दो , दो से चार , करोड़ से अरब और अरब से खरब होने में बाधा डालता है ………. इस प्रकार वायरस को तेजी से बढ़ने पर रोक लग जाती है ….. रही सही मदद हमारी इम्युनिटी से मिलती है जो इन वायरस कोशिकाओं को समाप्त कर देते हैं फलस्वरूप परिणाम बहुत घंटों में ही अच्छे मिल जाते है।